शिमला: राज्यपाल ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के जिम्मेदार इस्तेमाल पर जोर दिया

शिमला: राज्यपाल ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के जिम्मेदार इस्तेमाल पर जोर दिया
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का जवाबदेही के साथ उपयोग करने के महत्त्व पर बल दिया और कहा कि शब्दों में पवित्रता और शक्ति होती है। राज्यपाल मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा आयोजित 'भारत में द्वेषपूर्ण भाषण और चुनाव राजनीति' विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि शब्दों का गहरा प्रभाव होता है। शब्दों से मित्रता और शत्रुता दोनों उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए उनका इस्तेमाल विनम्रता और गरिमा के साथ होना चाहिए। एक सभ्य समाज में वार्तालाप में शालीनता और सम्मान झलकना चाहिए।
राज्यपाल ने द्वेषपूर्ण भाषा की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि समाज के कुछ प्रतिनिधियों और वर्गों के बीच सार्वजनिक संवाद का गिरता स्तर निराशाजनक है। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे उन लोगों का समर्थन न करें जो द्वेषपूर्ण या विभाजनकारी बयानबाजी करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा केवल शारीरिक कृत्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि आहत करने वाला और द्वेषपूर्ण भाषण भी हिंसा का रूप है। हमें इसे देश और समाज के हित में पूरी तरह खंडित करना चाहिए।
राज्यपाल ने शिक्षक समुदाय से युवा पीढ़ी को भाषा के जिम्मेदाराना इस्तेमाल के प्रति संवेदनशील बनाने का आग्रह किया और कहा कि शिक्षकों का युवाओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) योगेश सिंह ने की और उन्होंने द्वेषपूर्ण भाषा के कानूनी और नैतिक आयामों को उदाहरणों के साथ समझाते हुए अनुच्छेद 19 पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य अतिथि का स्वागत अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता विधि संकाय प्रो. अंजू वली टिकू ने किया। आईएलसी निदेशक प्रो. एल. पुष्प कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विभाग के संकाय सदस्य, कर्मचारी और छात्र भी उपस्थित थे।
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SOURCE: DIPR HP
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